SP को मात देने का ‘कुर्मी कार्ड’! यूपी BJP की कमान पंकज चौधरी के हाथ

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश बीजेपी को नया अध्यक्ष मिलने वाला है और पंकज चौधरी का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। पार्टी आलाकमान को लग रहा है कि पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी (SP) धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत कर रही है, और इसे रोकने के लिए अब सिर्फ भाषण नहीं, सोशल इंजीनियरिंग चाहिए।

क्यों पंकज चौधरी?

बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि कुर्मी समाज पूर्वांचल की राजनीति में बड़ा गेम-चेंजर साबित हो सकता है। पंकज चौधरी इसी समाज से आते हैं और उनकी पहचान सिर्फ जाति तक सीमित नहीं है— सरकार में अनुभव- संगठन में पकड़-ग्राउंड लेवल कनेक्शन

यानी एक तीर से तीन निशाने।

SP की बढ़ती ताकत, BJP की नई चाल

पूर्वांचल में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी लगातार सक्रिय है। पंचायत से लेकर लोकसभा तक SP की रणनीति साफ दिख रही है। ऐसे में बीजेपी को लगा कि अगर समय रहते जवाब नहीं दिया गया, तो 2027 की स्क्रिप्ट कोई और लिख देगा।

और यहीं एंट्री होती है — “कुर्मी कार्ड” की।

संगठन + सरकार = पंकज फैक्टर

पंकज चौधरी उन नेताओं में गिने जाते हैं जिन्हें फाइल और फील्ड—दोनों की समझ है। बीजेपी के अंदर चर्चा है कि उन्हें अध्यक्ष बनाकर पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि“ये सिर्फ चुनाव नहीं, सोशल बैलेंस की लड़ाई है।”

राजनीति में कहा जाता है— “जब रणनीति कमजोर हो, तो जातीय गणित मजबूत करो।”
बीजेपी इस फार्मूले को पहले भी आज़मा चुकी है, और पंकज चौधरी उसी पुरानी लेकिन असरदार किताब का नया पन्ना हो सकते हैं।

आगे क्या?

अगर पंकज चौधरी को यूपी बीजेपी अध्यक्ष बनाया जाता है, तो साफ है कि पार्टी का फोकस रहेगा:
पूर्वांचल
कुर्मी वोट बैंक
SP की धार कुंद करना

अब देखना दिलचस्प होगा कि यह सियासी चाल मास्टरस्ट्रोक बनती है या सिर्फ एक और प्रयोग।

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